कसरी भनौँ आँशुको,प्रवाह दिएर गई॥
गई ऊ दिलमा चोट, अथाह दिएर गई॥
जसलाई बिर्सन मृत्यु,मात्र यौटा उपाय छ॥
उसैले आज भुल भन्नेे,सल्लाह दिएर गई॥
............००० माधव पोख्रेल अनुराग
............... देवघाटधाम तनहूँ
Sunday 22 June 2014
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